यदि बिना दी हुई वस्तु लेना चोरी है तो कर्मों का बिना आज्ञा लेना भी चोरी हुई ?
नहीं, क्योंकि स्वर्ण आदि का आदान प्रदान होता है, उसे बिना अनुमति के लेना चोरी है
कर्म आना तो सांस लेने जैसी प्राकृतिक क्रिया है ।
तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. कैलाशचंद्र जी
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