तीर्थंकर प्रकृति
मिथ्यात्व गुणस्थान में भी तीर्थंकर प्रकृति का सत्त्व रहता है ( दूसरा या तीसरा नरक जिन्होंने पहले से बांध लिया है उनका नरक जाते समय एक मुहूर्त पहले तथा एक मुहूर्त बाद तक मिथ्यादर्शन रहता है और उस समय तीर्थंकर प्रकृति बंधती तो नहीं पर सत्त्व में पड़ी रहती है ।)
कर्मकांड़ गाथा : – 333