निगोद

भरत पुत्रों ने ऐसा कौन सा पुण्य किया होगा कि वे मनुष्य बन कर उसी भव से मोक्ष चले गये ?
श्री कौन्देय जी के अनुसार – उन जीवों ने निगोद अवस्था में किसी तीर्थंकर को या ऋद्दिधारी मुनियों के शरीर को स्पर्श किया होगा ।

श्री रतनलाल बैनाडा जी

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