प्रकृति संरक्षण

एक बकरी के पीछे शिकारी कुत्ते दौड़े। बकरी जान बचाकर अंगूरों की झाड़ी में घुस गयी। कुत्ते आगे निकल गए। बकरी ने निश्चिंतापूर्वक अँगूर की बेलें खानीं शुरु कर दीं और ज़मीन से लेकर अपनी गर्दन पहुचे, उतनी दूरी तक के सारे पत्ते खा लिए। पत्ते झाड़ी में नहीं रहे। छिपने का सहारा समाप्त हो जाने पर कुत्तों ने उसे देख लिया और मार डाला !

सहारा देने वाले को जो नष्ट करता है, उसकी ऐसी ही दुर्गति होती है।

मनुष्य भी आज सहारा देने वालीं जीवनदायिनी नदियों, पेड़ पौधों, जानवरों, पर्वतों आदि को नुकसान पहुँचा रहा है और इन सभी का परिणाम भी अनेक आपदाओं के रूप में भोग रहा है।

(आर.के.गुप्ता)

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One Response

  1. Jo sahara deta hai, usko nasht nahin karna chahiya anyatha uski durgati hogi, yah bilkul satya hai.

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