भगवान

भगवान हमारे जीवन में तो है पर अनुमान में है, अनुभव में नहीं ।
इसलिये पूजापाठ सब बोझ हैं ।
यात्रा अनुभूति की है ।
बाह्य क्रियायें Car के First Gear जैसी हैं – Starter, यदि Top Gear में इन क्रियायों को शुरू करोगे तो गाड़ी रूक जायेगी, First Gear में तो तीर्थयात्रा आएगी, Second Gear में पूजापाठ आदि और Top Gear में पालती मार कर हाथ पर हाथ रखना है, ध्यान की प्रक्रिया है । जो बोझ नहीं मौज बन जायेगी ।

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