मिथ्यात्व
मिथ्यात्व के बंध व उदय की व्युच्छित्ति तो पहले गुणस्थान में ही हो जाती है ।
पर सत्ता में सातवें गुणस्थान तक क्षपक श्रेणी की अपेक्षा तथा ग्यारहवें गुणस्थान तक उपशम श्रेणी की अपेक्षा तक रहता है ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
मिथ्यात्व के बंध व उदय की व्युच्छित्ति तो पहले गुणस्थान में ही हो जाती है ।
पर सत्ता में सातवें गुणस्थान तक क्षपक श्रेणी की अपेक्षा तथा ग्यारहवें गुणस्थान तक उपशम श्रेणी की अपेक्षा तक रहता है ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी