याद नहीं रहता
छोटे भाई ने बड़े भाई का लड्डु मुँह में डाला ही था कि बड़े ने उसका मुँह दबाकर लड्डु निकाल लिया ।
छोटा – जितनी देर लड्डु मेरे मुँह में रहा, उतने समय का मिठास तो मैंने ले ही लिया !
धर्म याद नहीं होता तो कम से कम जितनी देर सुन रहे हो, उतनी देर मिठास तो आया ना !!
आर्यिका श्री वर्धस्वनंदनी जी
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उक्त कथन सत्य है कि छोटे भाई ने बड़े भाई का लड्डु अपने मुख में डाला, लेकिन बडे भाई ने मुख दबाकर निकाल दिया, उसके कारण जितना मुख में रहा था उसकी मिठास तो ली गई है।
इसी प्रकार लोग कहते हैं कि धर्म याद नहीं रहता है लेकिन जितनी देर सुनता है उतनी मिठास तो प़ाप्त होती ही है।अतः यह कहना कि याद नहीं रहता यह गलत है लेकिन उसकी कुछ मिठास तो मिल जाती है।