वनस्पति – काय/कायिक/जीव

Original अवस्था के पॄथ्वी, जल और अग्नि को “पॄथ्वी”, “जल” और ” अग्नि” कहा जाता है । लेकिन उसी तरह बीज को “वनस्पति” नहीं कह सकते बल्कि “वनस्पतिकाय” कहते हैं । क्योंकि बीज में से जीव निकल चुका है, ऐसे ही सारे अनाज के दाने भी “वनस्पतिकाय” कहलाये जाते हैं । इसीलिये आचार्यों ने वनस्पति में चारों भेद घटित नहीं किये | ( जैसे जल के लिये – जल, जलकायक, जलकाय, जलजीव )

पं.रतनलाल बैनाडा जी

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