व्रत

पहले से चौथे गुणस्थान में जो व्रत नियम लिये जाते हैं वे चारित्र मोहनीय के क्षयोपशम से नहीं होते बल्कि चारित्र मोहनीय के मंद उदय से होते हैं ।
मोहनीय रूपी मकान तोड़ने का Equipment जमा किया जाता है ।
जो व्रत नियम नहीं लेते हैं, उनके चारित्र मोहनीय का तीव्र उदय रहता है ।

आचार्य श्री गुप्तिनंदि जी

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 30, 2010

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031