सम्यग्दर्शन

8 अंगों में से कोई भी अंग जरा सा भी कम रहा तो, कार्य की सिद्धी नहीं होगी पर लाभ तो होगा, सम्यग्द्रष्टि जैसे लगोगे ।
जैसे आ. पुष्पदंत तथा भूतबली महाराज जब मंत्र सिद्ध करने गये तो श्लोक की एक मात्रा कम और एक मात्रा अधिक होने पर विद्यायें सिद्ध नहीं हुई थीं ।

आचार्य श्री विद्या सागर जी

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