Month: April 2024
मौन-देशना
जबलपुर-प्रतिभास्थली की छात्राओं ने आचार्य श्री विद्यासागर जी के दर्शन के दौरान, एक छात्रा ने प्रश्न किया→ क्या हम आपके साथ सामायिक कर सकते हैं
धर्म की साधना
धर्म की साधना का उद्देश्य सत्य को पाना बाद में, पहले झूठ को पहचानना/ छोड़ना होना चाहिये। चिंतन
वेद / लिंग
“नपुंसकानि लिंगानि” में लिंग की बात कही है। आगे “शेषास्त्रि वेदा:” में वेद की। आचार्य श्री विद्यासागर जी का चिंतन… जहाँ लिंग की बात कही
भगवान
जब भगवान हर जगह है तो मंदिर क्यों जायें ? भगवान हर जगह हैं कहाँ ? हाँ ! हर जीव भगवान बन सकता है। जैसे
ज्ञान / कर्म धारा
ज्ञान धारा → अजायबघर में रखी वस्तुओं के प्रति दृष्टिकोण। कर्म धारा → घर/ पुत्रादि के प्रति, रागद्वेष सहित कर्ताबुद्धि। दोनों धारायें साथ-साथ नहीं चल
गुण / गुनाह
आदमी के “गुण” और “गुनाह” दोनों की कीमत होती है। अंतर सिर्फ इतना है कि “गुण” की कीमत मिलती है और “गुनाह” की कीमत चुकानी
मंत्रों का प्रभाव
शब्द पुद्गल हैं, कर्म भी। मंत्रों के उच्चारण से दवा की तरह कर्मों की Chemistry भी Change हो जाती है। श्री लालमणी भाई
ओस
(एन.सी.जैन) ओस की एक बूंद सा है जिंदगी का सफर कभी ” फूल” में तो, कभी धूल में।
शुक्ल ध्यान
1. पृथक्त्वविर्तक वीचार I. वीचार = परिवर्तन सहित II. पृथक-पृथक अर्थ/ पर्याय/ योग (मन या वचन या काय) पर शुक्ल ध्यान 2. एकत्व वितर्क अविचार
प्रणाम
प्रणाम 3 प्रकार के → 1. पंच प्रणाम → घुटने मोड़े, हाथ जोड़े, सिर झुका लिया। 2. षट प्रणाम → घुटने मोड़े, हाथ जोड़े, सिर
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