Month: April 2024
गर्भज
प्रकार → 1. जरायुज → जरायु + ज (उत्पन्न) जरायु = झिल्ली/ आवरण (मांस रक्त का)। मनुष्य गाय आदि के। 2. अंडज → अंड +
पूजा
भगवान महावीर मुनि अवस्था में विहार करते हुए एक खंडहर में ध्यान मग्न हो गये। बरसात होने लगी, उनके सिर पर पानी की धार पड़ने
षट भाग हानि लाभ
संख्यात भाग, असंख्यात, अनंत भाग हानि के बाद लाभ में अनंत भाग लाभ, असंख्यात, संख्यात भाग लाभ आयेगा। समझने के लिये एक कपड़े के संख्यात
पुरुषार्थ
जीवन के शतरंज में किस्मत का बादशाह पुरुषार्थ के वज़ीर के बिना मात खा जाता है।
आस्रव
चारों ओर से कर्मों का धीरे-धीरे रिसना। इसलिये पता नहीं लगता/ हम रोकने का प्रयास नहीं करते। दूसरा कारण है सूक्ष्मता (कर्म वर्गणाओं की)। शांतिपथ
सूतक
मरण का सूतक 12 दिन का, 13वें दिन पूजादि कर सकते हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी (चौथी-पाँचवीं पीढ़ी को 6 दिन, छठी-सातवीं को 3
नियति / पुरुषार्थ
नियति मिथ्या नहीं यदि पुरुषार्थ के साथ उसे स्वीकारें तो। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
मोह
जब तक मोह का ताज पहने रहोगे, तब तक मोहताज ही रहोगे। आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
भाव
क्षयोपशमिक-भाव… जो ज्ञान उत्पन्न हो गया है तथा जो उत्पन्न नहीं हुआ हो, उनके सद्भाव से उत्पन्न भाव। औदयिक–भाव…. कषाय, शरीरादि से जुड़े रहते हैं।
सत्संग
एक समृद्ध व्यक्ति सत्संग में नहीं जाते थे। पत्नी के आग्रह पर एक दिन चले गये, सबने कहा “आइये”, “बैठिये” पर कथा शुरू होते ही
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