संगति

अगर कोई मक्खी सब्जी तौलते समय तराजू पर बैठ जाए तो उसकी कीमत दस पैसे,
लेकिन वही मक्खी अगर सोना तौलती तराजू पर बैठ जाए तो उसकी कीमत दस हजार रुपये होगी।

हम कहाँ बैठते हैं ?
किसके साथ बैठते हैं ?
उसके मूल्य (भौतिक/ सांसारिक/ आध्यात्मिक) से हमारे मूल्य निर्धारण में भी फ़र्क पड़ता है।

(सुरेश)

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4 Responses

  1. उपयोग उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में संगति का बड़ा प़भाव पडता है, चाहे लौकिक अथवा परमार्थिक क्षेत्र हो! संगति का मूल्य आंकना अपने विवेक पर भी निर्भर रहता है! अतः जीवन का कल्याण करना है तो अच्छी संगति पर ध्यान करना चाहिए!

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