दिगम्बरत्व
दिगम्बरत्व के बिना इंद्र नहीं बन सकते (भवनत्रिक को छोड़कर)।
इसीलिये सीता प्रतीन्द्र बनीं ।
आचार्यों का दूसरा मत भी है – श्रावक (प्रतिमाधारी) सल्लेखना पूर्वक समाधि करे तो सौधर्म, लौकांतिक देव भी बन सकते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
दिगम्बरत्व के बिना इंद्र नहीं बन सकते (भवनत्रिक को छोड़कर)।
इसीलिये सीता प्रतीन्द्र बनीं ।
आचार्यों का दूसरा मत भी है – श्रावक (प्रतिमाधारी) सल्लेखना पूर्वक समाधि करे तो सौधर्म, लौकांतिक देव भी बन सकते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
यह कथन सत्य है कि दिगम्बरत्व के बिना इंद़ बन नहीं सकते हैं सिर्फ भवनत्रिक को छोडकर क्योकि भवनत्रिक तो भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी देव कहलाते हैं।अतः सीता जी प़तीन्द़ ही बन सकी थी।इसके अतिरित्त आचार्यो का मत है कि श्रावक यानी प़तिमाधारी संल्लेखना पूर्वक समाधि लेते हैं तो सौधर्म इन्द़ और लोकांतिक देव बनने की पात्रता रखते हैं।