तीर्थंकर प्रकृति बंध
नरक में 2 पर्याप्तियाँ पूर्ण होते ही तीर्थंकर प्रकृति बंध शुरू होता है ।
बिना करण के सम्यग्दर्शन, फिर तीर्थंकर प्रकृति बंध शुरू, पहले गुणस्थान से सीधे 4 गुणस्थान में ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
नरक में 2 पर्याप्तियाँ पूर्ण होते ही तीर्थंकर प्रकृति बंध शुरू होता है ।
बिना करण के सम्यग्दर्शन, फिर तीर्थंकर प्रकृति बंध शुरू, पहले गुणस्थान से सीधे 4 गुणस्थान में ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी