देवायु बंध
सम्यग्दर्शन के साथ अणुव्रत और महाव्रत, मिथ्यादर्शन के साथ बालतप – अकाम निर्जरा, समीचीन धर्म श्रवण, आयतन सेवा तथा सराग संयम से ।
कर्मकांड़ गाथा : – 807
सम्यग्दर्शन के साथ अणुव्रत और महाव्रत, मिथ्यादर्शन के साथ बालतप – अकाम निर्जरा, समीचीन धर्म श्रवण, आयतन सेवा तथा सराग संयम से ।
कर्मकांड़ गाथा : – 807
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