स्व-पर कल्याण
जो अपने कल्याण में लगा हुआ है, वह दूसरों का अकल्याण कर ही नहीं सकता ।
क्योंकि दूसरे के अकल्याण के भाव आने से पहले अपना अकल्याण हो ही जायेगा ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
जो अपने कल्याण में लगा हुआ है, वह दूसरों का अकल्याण कर ही नहीं सकता ।
क्योंकि दूसरे के अकल्याण के भाव आने से पहले अपना अकल्याण हो ही जायेगा ।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
उक्त कथन सत्य है कि जो अपने कल्याण में लगा हुआ है वह दूसरों का अकल्याण नहीं कर सकता हैं। अतः यदि उसके दिल में दूसरों के प्रति अकल्याण के भाव आने पर उसका कल्याण नहीं हो सकता है। अतः जीवन में अपना कल्याण करना है तो दूसरों के प्रति भी उनके कल्याण के भाव होना आवश्यक है ताकि जीवन सार्थक हो सकता है।