मुसीबत

दुश्मन चाहे मनुष्य रूप में हो या कर्मरूप में, वह तो अपना स्वार्थ देखेगा ही ।
आप उसे यह नहीं कह सकते कि… हे ! मुसीबत मुझे मत सताओ ।
अपनी मन, वचन, काय रूपी ढाल तथा पुरुषार्थ रूपी तलवार से वीरों की तरह Defence/Attack करना होगा ।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

One Response

  1. मुसीबत यानी कठिनाई तो मनुष्य जीवन में आती रहती हैं । लेकिन जीवन में मुसीबत को सहजता और सामता से स्वीकार कर पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है। अतः अपनी मन वचन काय रुपी ढाल तथा पुरुषार्थ रुपी तलवार से वीरों की तरह, उसमें बचाव और हमला करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सके ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

May 25, 2021

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930