यत्नाचार/वीर्याचार
यत्नाचार = ध्यान पूर्वक यत्न
वीर्याचार = यत्नाचार को Support करने/उसे ताकत देने के लिये ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
यत्नाचार = ध्यान पूर्वक यत्न
वीर्याचार = यत्नाचार को Support करने/उसे ताकत देने के लिये ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि यत्नाचार यानी ध्यान पूर्वक यत्न करना होता है, जबकि वीर्याचार में अपनी शक्ति को न छिपाकर उत्साह पूर्वक पंचाचार का पालन करना होता है।
अतः जीवन में वीर्याचार का उपयोग करना आवश्यक है ताकि जीवन में उचित परिणाम मिल सकता है।