आकाश / द्रव्य
आकाश के एक-एक प्रदेश में अनंत द्रव्य (पुदगल) आ सकते हैं,
पर एक प्रदेश में एक जीव नहीं रह सकता है क्योंकि प्रत्येक जीव असंख्यात प्रदेशी होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
आकाश के एक-एक प्रदेश में अनंत द्रव्य (पुदगल) आ सकते हैं,
पर एक प्रदेश में एक जीव नहीं रह सकता है क्योंकि प्रत्येक जीव असंख्यात प्रदेशी होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
द़व्य…गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं , इसमें छह द़व्य होते हैं,जीव,पुदगल,धर्म,अर्धम,आकाश और काल।
प़देश का मतलब एक परमाणु द़व्य आकाश में जितनी जगह घेरता है।अलोकाकाश यानी लोकाकाश के बाहर सब ओर अनन्त आकाश को कहते हैं, अलोकाकाश में एक मात्र आकाश द़व्य है, इनमें शेष पांच द़व्य नहीं होते हैं।
अतः मुनि महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह उपरोक्त परिभाषाओं के कारण सत्य है।
।