अचेतन
संगीतादि को सीखना चेतन मन/दिमाग से होता है । अभ्यास हो जाने पर अचेतन मन सक्रिय हो जाता है, तभी सुन्दर सुन्दर स्वर-लहरी निकलती है, जो आत्मसात हो जाता है ।
चेतन व्यवहार है, अचेतन निश्चय ।
चिंतन
संगीतादि को सीखना चेतन मन/दिमाग से होता है । अभ्यास हो जाने पर अचेतन मन सक्रिय हो जाता है, तभी सुन्दर सुन्दर स्वर-लहरी निकलती है, जो आत्मसात हो जाता है ।
चेतन व्यवहार है, अचेतन निश्चय ।
चिंतन