आत्मा / जीव

जीव – द्रव्य तत्व है,
आत्मा – भाव तत्व।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. आत्मा का तात्पर्य जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।
    जीव का तात्पर्य जो जानता है या जिसमें चेतना होती है।यह दो प्रकार के हैं, संसारी और मुक्ति जीव। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जीव द़व्य तत्व है जबकि आत्मा भाव तत्व।

    1. कहा जाता है …जीवों की रक्षा करो यानि शरीर की रक्षा का आशय/ द्रव्य का महत्व। आत्मा की रक्षा नहीं, वह तो अनश्वर भी है।
      आत्मा कहते ही उसके गुणों/ भावों का आशय होता है।

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