सत्य

वैसे तो सत्य अखंड है पर व्यवहार चलाने में खंडित हो जाता है जैसे सत्य यह है कि रोटी पूर्ण होती है पर माँ खंडित करके परोसती है (होटल में साबुत, ताकि गिन सकें), फ़िर दांत उसके और टुकड़े टुकड़े कर देते हैं, रही सही कसर आंत उसे और महीन ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. सत्य का तात्पर्य राग,द्वेष या मोह से प्रेरित सब प़कार के झूठ वचनों का त्याग करना और आगम के अनुसार बोलना सत्य महाव्रत होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सत्य अखंड होता है, जबकि व्यवहार में चलाने पर खंडित हो सकता है। अतः टुकड़े टुकड़े करके उसको असत्य नहीं कहा जा सकता है। जीवन में आगम के अनुसार सत्य बोलने का प्रयास करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

    1. वैसे तो सत्य अखंड है पर व्यवहार में खंडित करना पड़ता है फिर भी वह सत्य ही रहता है।

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