Category: चिंतन

सगा

जो अपने सगों की कमजोरियाँ जिनसे Share करे, वह सबसे ज्यादा सगा (फिर चाहे वह अपना Blood Relative हो या ना हो)। चिंतन

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गृहस्थ / साधु

गृहस्थ और साधु में अंतर गृहस्थ परिस्थितियों को अपने अनुसार बद‌लने का प्रयास करता रहता है। परिस्थितियां नित नयी बदलती रहती हैं; सो उसके अनुरूप

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पतझड़

इस मौसम में सब वृक्ष अपने पत्ते छोड़ते हैं। क्या उनको पुण्य मिलेगा ? नहीं, क्योंकि उनके पत्ते छोड़ने का कारण ममत्व कम करना नहीं

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समझना

जिसने अपनी कमज़ोरियों को समझ लिया, वह सँभल गया। जिसने अपने आपको (कुछ) समझ लिया, वह उलझ गया। चिंतन

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निमित्त

बेल को सहारा मिलने पर ऊँचाइयाँ पा लेती है पर उस निमित्त से उतरती नहीं है। सिर्फ मनुष्य ऐसा है जो निमित्त पाकर चढ़ता कम,

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सम्पर्क

एक दिन 3 दु:खद समाचार आये – 1. करीबी रिश्तेदार 2. वफ़ादार ड्राइवर 3. ड़ेढ़ माह से घर में पल रहा चिड़िया का बच्चा, नहीं

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जिसका फाला उसका गाना

51% से अधिक जिसकी ओर हो, गाने उसके ही गाने में समझदारी होगी न ! 51 से अधिक वर्षों की उम्र में, अगले जन्म/ भगवान

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ज़िंदगी

ज़िंदगी Musical Chair का खेल ही है – एक-एक करके कुर्सियाँ ख़त्म होती जाती हैं, एक-एक करके व्यक्तियों का खेल समाप्त होता जाता है। अंत

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संसार और संयम

“संसार” में – छोटे “स” से बड़ा “सा” बन जाता है यानि संसार बढ़ता ही जाता है। संयम यानि सं+यम – “स” से संयम/ सावधानी,

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अवस्था

युवावस्था में जो मांसपेशियाँ शक्त्ति देती हैं, वही वृद्धावस्था में बोझ बन जाती हैं/शक्त्ति क्षीण करती हैं। चिंतन

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मंगल आशीष

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