Category: चिंतन
सबका
जो परिवार में सबका, वह परिवार का मुखिया; जो समाज में सबका, वह गुरु; जो संसार में सबका, वह भगवान। चिंतन
अच्छा/बुरा बुज़ुर्ग
घर में पेंट करते समय कारीगर ने रंग दिखा कर सहमति चाही। बुढ़ापे में वैसे तो नज़र भी कमज़ोर हो जाती है; दूसरा – अच्छे
याद
सम्बंधियों को याद करोगे तो दु:ख होगा/ कर्मबंध होगा। यह कहना कि उनके गुणों को/ उपकारों को याद करते हैं, यह भी पूर्ण सत्य नहीं,
निश्चितता
आप हर समय आल्हादित कैसे रह लेते हैं ? मैं क्यों नहीं रह पाता ? ————————- एन.सी.जैन-नोएडा क्योंकि जो तुम्हारे पास* है, वह मेरे पास
पाँच उँगलियाँ
उँगलियाँ अलग-अलग Size, मोटाई, strength की क्यों ? सबसे छोटी उँगली कान की सफाई के लिये पतली, कम लंम्बी ताकि पर्दे को नुकसान न पहुँचे।
लोभ
करोड़पति (बड़ा) बनने के लिये लखपतिपने (छोटे को/लोभ) को छोड़ना पड़ेगा। ऐसे ही संसार का लोभ/ आकर्षण छोड़ने पर ही मोक्ष प्राप्त हो सकेगा। चिंतन
भाग्य/पुरुषार्थ
संसार सागर में कश्ती तो भाग्य की लहरों/हवा के सहारे ही चलती/पहुँचती है। पुरुषार्थ का काम तो बस डूबने से बचाने के लिये Balance बनाये
परोपकार / स्वार्थ
आम का पेड़ परोपकारी या स्वार्थी ? सबको मीठे-मीठे/स्वास्थवर्धक फल देता है, सो परोपकारी। पर इसके पीछे छिपा अभिप्राय – कि गुठलियों के बिखरने से
सजीव / निर्जीव
दोनों ख़ुद गिर सकते हैं (समय के साथ निर्जीव), दोनों दूसरों को भी गिरा सकते हैं (निर्जीव जैसे जंग, लोहे को)….निकृष्ट। पर सजीव बन भी
सुंदर जीवन
उपवन को सुंदर बनाये रखने के लिये सड़े/ सूखे/ असुंदर पत्तों को हटाना होता है। ऐसे ही जीवन में से सड़ी गली आदतों को हटा
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