Category: चिंतन

भविष्य

सोने की मूर्ति, सोने के टुकड़ों को तपा कर ही बनती है, पीतल से नहीं । जैसा भविष्य चाहते हो, वैसे काम करना शुरू कर

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अनेकांत

पहाड़ पर चढ़ने के बहुत मार्ग होते हैं । पर जैसे जैसे चोटी के करीब पहुँचते जाते हैं, मार्ग कम होते होते एक ही रह

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भावना

मुक्ति की भावना रखोगे तो संसारी दु:खों से मुक्ति मिल ही जायेगी । चिंतन

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उपाधि

व्याधि (शरीर का रोग) से बड़ी “आधि “(मन का), पर सबसे बड़ी उपाधि (मान) । “मन” से बड़ा “मान” तो है ही, बड़े “आ” की

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भला

तुम लोगों के भले बनना चाहते हो ? या उनका भला करना चाहते हो ? चिंतन

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आदान-प्रदान

दूसरों को अपना पुण्य फल दिया तो जा सकता है, पर दूसरा ले तभी पायेगा, जब उसके पास अपने पुण्य हों । चिंतन

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सोच

सोच छोटी यानि उन्नति की सीढ़ियां छोटी छोटी, गंतव्य पर पहुँचने में अधिक समय लगेगा । चिंतन

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प्रभाव

धर्म का प्रभाव क्यों नहीं हो रहा ? क्योंकि हम जीवन में धर्म का अभाव महसूस नहीं करते हैं , इसलिये धर्म जानने/ समझने के

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आत्मा/शरीर

अपने को आत्मा मानोगे तो परमात्मा मिलेंगे, शरीर मानोगे तो शरीर मिलेंगे / मिलते ही रहेंगे । चिंतन

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मंगल आशीष

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