Category: चिंतन
भगवान की वाणी
हाथी के पैर में सबके पैर समा जाते हैं । भगवान की वाणी में सारा ज्ञान/तर्क वितर्क समा जाते हैं । चिंतन
भगवान बनना
जब पत्थर,पहाड़ के प्रति अपना मोह छोड़ देता है और छैनी हथौडे की पीडा सहता है, तब भगवान बनता है। चिंतन
सुख/दुख
सुख/दुख में रहना सामान्य बात है। दुख सह लिए , तो फायदे में, सुख सहे , तो घाटा। चिंतन
सामंजस्य
दो लाइनों के बीच का भाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। इनके बीच में ऐसे adjust हो जाओ कि लाइनों को खिसकना न पडे। महत्वपूर्ण स्थान
भगवान और हम
भगवान सच्चित्तानंद, हम मूर्खानंद । भगवान सत्य में आनंद ले रहे हैं, हम मूर्खता में आनंद ले रहे हैं । चिंतन
भेस
Base बनाने के लिये भेस जरूरी है, पर सिर्फ भेस से काम नहीं चलेगा । चिंतन
सम्बंध/बंध
सम्बन्ध को बस सम्बंध ही मानो तो फायदा, यदि सम्बंध को बंध मान लिया तो नुकसान ही नुकसान (इस लोक का भी, और परलोक का
भाव/फल
दु:खी होकर/अज्ञानता से शरीर छोड़ने के भाव से पापबंध, मोक्ष सुख के लिये आनंद और ज्ञान सहित समाधिमरण करने से पुण्य/मोक्ष । क्रिया दोनों में
नियम
टूटने के डर से काँच का कीमती सामान खरीदना रद्द तो नहीं करते न ? फिर टूटने के डर से नियम लेना क्यों रद्द कर
रागद्वेष
रस्सी दो लड़ों को बेल कर बनती है । ये दो लडें हैं ,राग व द्वेष की । ऐसी रस्सी हमको संसार/दु:खों से बांधकर रखे
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