Category: चिंतन
अनुकम्पा/मोह
अनुकम्पा आद्रता है, मोह कीचड़, जो अपने ही घर में होती है । चिंतन
रागद्वेष
राग में पास बुलाना है, द्वेष में दूर करना है । इस खींचातानी में आत्मा में स्पंदन/Vibration होते रहते है, इससे कर्मबंध होता है ।
अतिचार/अनाचार
अतिचार – माँ से “तू” का संबोधन अनाचार – माँ के प्रति अकर्तव्य । चिंतन
सहायता
किसी की सहायता करते समय सोचो – “यह उसका आखिरी दिन है” ताकि अधिक से अधिक और मन से कर सको । सहायता करने के
परिवर्तन
परिवर्तन तो आवश्यक है क्योंकि – अनुभवों के साथ जीवन को लगातार बेहतर बनाना चाहिये, यदि गैंहूँ में बदलाव नहीं किया तो उसमें घुन लगेगा
अन्न की शुद्धता
अशुद्ध दवा भी बीमारी पैदा करती है, अशुद्ध अन्न शरीर का क्या करेगा ? चिंतन
पूजापाठ
बिना भावना के पूजापाठ एक Mechanical क्रिया है, जिसमें सिर्फ मशीन घिसती रहती है, Production बहुत कम । चिंतन
धर्म/अधर्म
धर्म जब आरामतलबी की ओर बढ़ने लगता है, तब अधर्म की ओर मुँह कर लेता है । चिंतन
धर्म में उत्साह
पहली बार टी.वी. सीरियल देखने पर मन नहीं लगता क्योंकि आप ना तो किरदारों को जानते हैं, ना कहानी । पर लगातार देखते रहने पर
उधारी
सबसे ज्यादा उधारी बच्चों की माँ पर या माँ की बच्चों पर होती है, तभी तो सबसे ज्यादा कष्ट सहकर उन्हें संसार में लाती है
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