Category: चिंतन
पैंसिल
पैंसिल जैसे बनें – गलती होने पर आसानी से मिटायी जा सके , और दोबारा सही लिखा जा सके । चिंतन
ख़राब समय
हमारे जीवन में ख़राब समय आता क्यों है ? क्योंकि हम समय ख़राब करते रहते हैं । आत्मकल्याण के लिये जो समय मिला था, उसे
मरण
किसी धर्मशाला में आप रहें, ना रहें या कितने समय रहें; इसमें दुखी होने की आवश्यकता नहीं है । मरण में धर्मशाला ही तो छोड़नी है
मृत्यु
जिसकी आने की तिथि निश्चित न हो, ऐसे महमान के आने पर आप घबराते हैं, दुखी होते हैं या उनका स्वागत करते हैं ? मृत्यु
मायाचारी
मायाचारी साँप जैसा होता है – ऊपर से सुंदर, चिकना, रसदार पर अंदर से जहरीला । चिंतन
कर्तव्य/मज़े
जीवन मज़े के लिये नहीं, कर्तव्य पूरे करने के लिये है । यह दूसरी बात है कि कर्तव्य पूरे करने वाले को ही असली मज़े आते हैं
सुख
ढ़ाई वर्षीय तनुशा बड़ों के साथ बैठी थी । उसके छोटे नाना धार्मिक चर्चा कर रहे थे । तनु बोर हो रही थी । बड़ों
ईश्वर
हमें उस ईश्वर का हर वक्त शुक्रिया करते रहना चाहिये, जो बर्दाश्त से ज़्यादा दुख तो नहीं देता, मगर उम्मीद से ज़्यादा सुख ज़रूर देता
दीपावली
हम लक्ष्मी के स्वागत में सजावट करते हैं/दीप जलाते हैं/पटाखे चलाते हैं(पर भूल जाते हैं-प्रदूषण को,अहिंसा को) दीपावली दो महान कार्यों के लिये मनायी जाती
दशहरा
यदि अपनी कमज़ोरियों पर विजय प्राप्त करलें तो दसों दिशायें हरी-भरी हो जायेंगी। चिंतन
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