Category: चिंतन
मोह
गले में खराशें पड़ने पर नमक के गरारों से फायदा होता है । पर खराशें बहुत बढ़ जाने पर/छालों का रूप ले लेने पर वही
प्रकृति
प्रकृति का हर काम मंद/सहज है, पर कुछ भी miss नहीं होता । हमारा हर काम तेज/हड़बड़ी में होता है, इसलिये हम आवश्यक काम भी
माता पिता
जो बुढ़ापे में बसों में धक्के खा खा कर अपने बच्चों के लिये पैसे बचाते हैं, ताकि उनके बच्चे टैक्सी में चल सकें । चिंतन
प्रवृत्ति
मच्छर जब तक खून चूसता रहता है तब तक शांत रहता है, जैसे ही उसे खून देना बंद करते हैं, वो भिनभिनाने लगता है/नाराज हो
कट्टरवादिता/दृढ़ता
कट्टरवादी अपने धर्म का दीपक तो जलाते हैं पर उससे दूसरे धर्मों को भी जलाते रहते हैं । दृढ़तावान अपने धर्म के दीपक की रक्षा
अशुद्ध/शुद्ध/विशुद्ध
किसी भी Non-veg Hotel के आगे “शुद्ध मांसाहार भोजनालय” नहीं लिखा होता है, शाकाहार भोजनालय के आगे “शुद्ध शाकाहारी भोजनालय” तो लिखा मिलता है पर
रागी/वीतरागी
रागी – तू नहीं मिला तो जान दे दूंगा । वीतरागी – तू नहीं मिला तो जान जाने पर तुझ जैसा बन जाउंगा/तुझ में मिल
अनित्य
प्रैस किये हुये कपड़ों पर थोड़ी देर में ही सलवटें पड़ जाती हैं । युवा शरीर पर भी झुर्रियाँ पड़ती ही हैं । फिर इस
पर
अपना शरीर ‘पर’ है, शरीर से संबधित/जन्म लिये बच्चे पर से भी परे हैं । बच्चों के बच्चे तो कितने परे हैं/ कितनी Generations/पीढ़ियां दूर हैं
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