Category: चिंतन
संगति
सेना जब पुल से पास होती है तब कदम मिलाकर नहीं चलते वरना एक साथ कदम-ताल से पुल भी उसी ताल में हिलने लगता है
संस्कार/आदत
संस्कार/आदत भी spring जैसी है, कितना भी दबाओ फिर original shape में आ जाती है । पर लगातार दबाते रहोगे तो वह अपना spring action
पेड़/मनुष्य
पेड़ को पत्थर मारो, वह फल देता है । मनुष्य पेड़ को पत्थर मार कर, उससे फल लेता है । विचार करें ! पेड़ और
मन
अतीत के पापोदय से मन भटकता है, पर पुरूषार्थ का remote तो आपके हाथ में है – हिंसात्मक/रागात्मक channels को बदल दो, आस्था/संस्कार channel पर
सीख
ड़ाँटो उसे जो, उल्टा न ड़ाँटने लगे, प्यार उसे करो, जो उल्टा आपको प्यार करे, समझाओ उसे, जो उल्टा आपको न समझाने लगे । चिंतन
स्वभाव
जलते कोयले को शीतलता देने के उद्देश्य से पानी ड़ालना हिंसा है । वस्तु के स्वभाव के विपरीत व्यवहार न करें । चिंतन
झूठ
यदि महाभारत में युधिष्ठर झूठ नहीं बोलते तो शायद महाभारत समाप्त नहीं होता । गृहस्थों के लिये अच्छे उद्देश्य से झूठ बोलना युक्त्ति संगत है
पंचतंत्र
बुद्धू राजकुमारों को पढ़ाने के लिये पंचतंत्र की कहानियों की रचना की गयी थी । हमको पढ़ाने के लिये महाभारत, रामायण आदि प्रथमानुयोग के ग्रंथ
बंधन
रेशम का कीड़ा जब तक खुद अपने ऊपर रेशम के धागे को पूरी तरह से लपेट नहीं लेता, कोई दूसरा उसे ज़िंदा उबलते हुये पानी
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