ध्यान में मन भटकता क्यों है ?
जिनका मन दिन-भर भटकता है, उनको रात में सपने बहुत आते हैं और भटकने वाले होते हैं ।
साधु जब विशेष ध्यान करते हैं तब एक दिन पहले से भोजन/ बोलना छोड़कर एकांत में रहने लगते हैं ।
भोग को मिठाई की तरह भोगोगे (स्वाद ले ले कर, खूब मात्रा में) तो दवाई खाना पड़ेगी ।
दवाई की तरह लोगो (मजबूरी/ कम मात्रा में) तो जीवन मिठाई जैसा हो जायेगा ।
अन्य दर्शनों की तरह, जैन दर्शन का एक शास्त्र क्यों नहीं ?
अन्य दर्शनों में भगवान अकेला कर्ता होता है, जैन दर्शन में हर जीव को भगवान बनने की शक्ति है/सबमें अपने अपने कर्मों के कर्ता/भोगतापने की शक्ति होती है, सो बहुत सारे शास्त्रों की आवश्यकता होती है ।
(ज्ञान भी अथाह है, एक शास्त्र में समायेगा नहीं)
मुनि श्री सुधासागर जी
ज्ञान – जानकारी देता है, आकर्षण का निमित्त बनता है ।
विज्ञान – उस ज्ञान को Analyse करके, भौतिक सुविधायें देता है ।
धर्म – उसी ज्ञान से हित/अहित की समझ देता है ।
त्याग दो प्रकार का —
1. संग्रह किये हुये को छोड़ना
2. संग्रह करना ही नहीं
बुखार से निवृत होना चाहते हो, विकार से क्यों नहीं ?
आचार्य श्री विद्यासागर जी
परम्परा – परम System जो घर/समाज को ऊपर की ओर ले जाये ।
रूढ़िवादिता – जो नीचे की ओर ले जाये ।
खुश रहना है तो –
अपनों में रहो, सांसारिक दृष्टि से ।
अपने में रहो, आध्यात्मिक दृष्टि से ।
आपे में रहो, सामान्य दृष्टि से ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मान इतना बुरा नहीं है, जितना दूसरों का अपमान करना ।
दूसरों का सम्मान न करें चलेगा, अपने सम्मान की आकांक्षा ना रखें ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
आचार्य श्री ज्ञानसागर जी (आ. श्री विद्यासागर जी के गुरु) कहा करते थे – 2 रु. की हाँड़ी लेने से पहले ठोंक-बजा कर लेते हो,
गुरु को भी खोजें, पहचानें, पायें तब उनके हों ।
शरीर पर मैल लगने पर मक्खियाँ भिनकने लगती हैं, मैल साफ करने पर ही हटती हैं ।
विकार रूपी मैल आत्मा पर लगने पर समाज तथा ख़ुद की नज़र में थू थू होने लगती है ।
धार्मिक-क्रियाओं से ही यह मैल दूर होता है ।
मुनि श्री अविचलसागर जी
जिसकी छाया पड़ती है जैसे मकान, कार, शरीर आदि, उसी की छवि की चिंता होती है ।
आत्मा की छाया नहीं पड़ती सो हम उसकी छवि की चिंता भी नहीं करते ।
चिंतन
पहले अपने आत्मविश्वास/ पुरुषार्थ से समस्याओं को निपटाओ,
न निपटे तब भगवान/ गुरु की शरण में जाना;
लेकिन वहां भी अपनी भक्ति के विश्वास पर ।
2) यदि समस्या ख़ुद निपटालो,
तब तो भगवान/ गुरु की शरण में आभार प्रकट करने ज़रूर जाना ।
मुनि श्री सुधासागर जी
Pages
CATEGORIES
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत – अन्य
- प्रश्न-उत्तर
- पहला कदम
- डायरी
- चिंतन
- आध्यात्मिक भजन
- अगला-कदम
Categories
- 2010
- 2011
- 2012
- 2013
- 2014
- 2015
- 2016
- 2017
- 2018
- 2019
- 2020
- 2021
- 2022
- 2023
- News
- Quotation
- Story
- Uncategorized
- अगला-कदम
- आध्यात्मिक भजन
- गुरु
- गुरु
- चिंतन
- डायरी
- पहला कदम
- प्रश्न-उत्तर
- वचनामृत – अन्य
- वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
- वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण – मुनि श्री क्षमासागर
- संस्मरण – अन्य
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
- संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
Recent Comments