श्रावकों (गृहस्थ) का धर्म नैमित्तिक (पर्व/उत्सव) होता है;
साधुओं का हर समय।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
शिष्य जो गुरु चरणों में चढ़ जाये, यानी गुरु दर्शन करके लौट न पाये।
भक्त गुरु दर्शन करके लौट जाये।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
ख़ामोशी हर सवाल का बेहतरीन जबाब है।
और मुस्कुराहट हर हालात की बेहतरीन प्रतिक्रिया।
(सुरेश)
जो ज्ञानी हैं वो कभी विचलित नहीं हुआ करते हैं जैसे सूर्य में चाहे जितना ताप हो वह समुद्र को सुखा नहीं सकता है।
A Mistake increases your experience & experience decreases your mistakes.
You learn from your mistakes then others learn from your success.
समुद्र के करीब पहुँच कर नदी विशालता को देख डरी, पर लौटने का रास्ता नहीं था। डर छोड़ कूद गयी समुद्र में और समुद्र बन गयी।
खलील जिब्रान
सफलता में दोषों को मिटाने/ भुलाने की विलक्षण शक्ति होती है।
मुंशी प्रेमचंद्र जी
कथायें आदि जानने से कल्याण नहीं होगा। जो नहीं जानते और उसे जानने का पुरुषार्थ करते हैं, उससे भला होगा। वे भव्य-सिद्ध हैं।
जैसे शुरु में Bouncer ऊपर से निकल जाते हैं, धीरे-धीरे उन्हें खेलने का अभ्यास करने वाले, अच्छे Batsman बनते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
मेरे ऊपर कर्ज़ है तेरा,
तेरी भक्ति फर्ज़ है मेरा।
धरती, धैर्य शब्द से बना है, धैर्य का सबसे बड़ा प्रतीक। धरती तो माँ का रूप है जो अपने बच्चों की गंदगी को साफ करती है, धरती तो उस मल को भी मूल्यवान(खाद) बनाकर वापस दे देती है।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
कुंडलपुर मंदिर निर्माण के अवसर पर …
नींबू को संतरे में मिलाने से नारंगी। ऐसे ही बड़े-बड़े प्रासाद/ मंदिर बनाने में बड़े-बड़े पत्थर प्रयोग होते हैं, पर उनका संतुलन बनाये रखने में छोटी-छोटी पत्थर की Chips का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। यहाँ तक कि नारंगी पर छिलका न हो तो वह सूख जाती है, यही Role स्वयंसेवकों का होता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्तृत्व* का भाव कर्तव्य से विमुख कर देता है।
*कर्ता भाव
आचार्य श्री विद्यासागर जी
“You always attract people by the quality you display.
But, you always retain people by the quality you possess.”
(J.L.Jain)
दिमाग को खूब पढ़ाना,
पर दिल को अनपढ़ ही रखना;
ताकि भावनाओं को समझने में हिसाब-किताब न करे।
(एकता-पुणे)
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