A great obstacle to happiness is,
to expect too much happiness.
(Mr. Dharmendra)
मूंगफली ने शिकायत की – मैं ज्यादा स्वादिष्ट, फिर बादाम की पूछ क्यों ज्यादा होती है ?
गुरू – बादाम के भाव ज्यादा हैं इसलिये उसका महत्त्व अधिक है ।
सारा खेल भावों का है ।
श्री लालमणी भाई
वैराग्य की बात करना और वैराग्य से बात करने में बहुत अंतर है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
अकबर ने तानसेन से पूछा – तुम्हारे गुरू कौन हैं ? मैं उन्हें सुनना चाहता हूँ ।
तानसेन अकबर को ले कर गुरू रामदास की झोंपड़ी के बाहर रात को छुप गये,
पूरी रात इंतज़ार करने के बाद, सुबह गुरू ने आलाप लिया और वह घण्टों चलता रहा ।
अकबर मंत्रमुग्ध हो गये और महल में आ कर तानसेन से पूछा – ये तुमसे भी इतना अधिक सुंदर कैसे गा पाते हैं ?
तानसेन – जब मैं आलाप लेता हूँ तो मेरी दृष्टि आपकी उंगलियों और गले के हार की ओर रहती है कि आज इनाम में क्या मिलेगा ।
मेरे गुरू किसी आकांक्षा/इनाम की उम्मीद में आलाप नहीं लेते, उनके मन में तो जब भगवान का आनंद भर जाता है,
तब वह आनंद संगीत के रूप में बाहर निकलने लगता है ।
जीवन रेल की पटरी नहीं जो हमेशा समानांतर चले,
यह तो गंगा की धारा जैसी होनी चाहिये जो कहीं गिरती है, कहीं रूकावटें आती हैं,
पर फिर भी अपनी पवित्रता नहीं छोड़ती है ।
मुनि श्री तरूणसागर जी
स्वाधीन होना, यानि अपने ही आधीन होना ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
“2get and 2give” creates 2 many problems,
but just double it “4get and 4give” solves all the problems.
(Ku. Ruchi/Dr.B.K.D.Jain)
सुअर के बच्चे, पैदायशी सुअर जैसे गंदे नहीं होते,
दूसरे सुअरों के साथ रहकर बाद में गंदे हो जाते हैं ।
(ड़ा. अमित)
एक खानदानी पहलवान और ड़रपोक व्यक्ति में लड़ाई हुई, ड़रपोक व्यक्ति ने पहलवान को नीचे गिरा लिया । नीचे पड़े पड़े ही ड़रपोक व्यक्ति का खानदान पूछा ।
पता लगने पर की वह ड़रपोक खानदान का है, पहलवान पूरी दम लगाकर ऊपर आ गया और ड़रपोक व्यक्ति को हरा दिया ।
हमको अपनी आत्मा के वैभव का जब पता लग जायेगा तो उस पहलवान की तरह हम भी संसारी ड़रपोक व्यक्ति को पछाड़ देंगें ।
We die to finish school, then we die to start college.
Then we die to start working, then we die to marry.
Then we die to retire !
And finally while dying, we realize that we forgot to live.
(Mr. Dharmendra)
महाराष्ट्र के IAS में Selected Candidates का सम्मान हो रहा था ।
135 वीं Rank वाले श्री बालाजी धूप का चश्मा लगाये हुये थे, क्योंकि गरीबी के कारण वे Street Light पढ़ते थे, उससे उनकी बायीं आंख की रोशनी चली गयी थी ।
Topper के बाद केवल उनको बोलने के लिये मंच पर बुलाया गया ।
उन्होंने कहा – I have lost my Left Eye, But I have not lost my right vision.
(श्रीमति निधि)
एक गांव वाला शहर आया, अंधेरा होने पर उसने दिया और माचिस मांगी,
बटन दबाकर बल्ब जला दिया गया ।
वह बोला – क्या चमत्कार है !
अज्ञानी को छोटी छोटी चीजें भी चमत्कार दिखाई देतीं हैं ।
हालांकि चमत्कारों को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता ।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी
हृदय के Muscles और भावनाओं में कोई संबध है क्या ?
भावनायें अच्छी रहेंगी, तो दिल टूटेगा नहीं ।
चिंतन
भक्ति/सत्संग में जब आनंद आना शुरू होता है, तो पहले तो बोलना बंद हो जाता है और अंत में सुनना भी ।
श्री बी. पी. तनेजा जी
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