कमीज का यदि पहला बटन गलत लग गया तो आगे के सारे बटन गलत ही लगेंगे ।
(हो सकता है कि आखरी बटन पेंट के काज में चला जाये )

मुनि श्री तरूणसागर जी

किसी नयी जगह जाओ तो वहां कोई जानकार नहीं होता,
किससे बात करें ? ज़रूरत पड़ने पर किससे सहायता मांगें ?

हर जगह मंदिर तो होते ही हैं और मंदिरों में भगवान,
नयी जगह पर भगवान से बात करें, उन्हीं से सहायता मांगें ।
आप पायेंगे कि मंदिर में आने वाले बहुत से लोग आप से बात करेंगे, आपको सहायता देंगे ।

श्री चक्रेश भैया

सुबह घूमने जाते समय बहुत आनंद आता है, क्योंकि उस समय कोई Destination या Target दिमाग में नहीं होता है ।
पर Office जाते समय घिसटते हुये से, बिना आनंद के जाते हैं क्योंकि दिमाग में Destination और Target के बंधन होते हैं ।

मूंगफली ने शिकायत की – मैं ज्यादा स्वादिष्ट, फिर बादाम की पूछ क्यों ज्यादा होती है ?

गुरू – बादाम के भाव ज्यादा हैं इसलिये उसका महत्त्व अधिक है ।

सारा खेल भावों का है ।

श्री लालमणी भाई

अकबर ने तानसेन से पूछा – तुम्हारे गुरू कौन हैं ? मैं उन्हें सुनना चाहता हूँ ।
तानसेन अकबर को ले कर गुरू रामदास की झोंपड़ी के बाहर रात को छुप गये,
पूरी रात इंतज़ार करने के बाद, सुबह गुरू ने आलाप लिया और वह घण्टों चलता रहा ।
अकबर मंत्रमुग्ध हो गये और महल में आ कर तानसेन से पूछा – ये तुमसे भी इतना अधिक सुंदर कैसे गा पाते हैं ?
तानसेन – जब मैं आलाप लेता हूँ तो मेरी दृष्टि आपकी उंगलियों और गले के हार की ओर रहती है कि आज इनाम में क्या मिलेगा ।
मेरे गुरू किसी आकांक्षा/इनाम की उम्मीद में आलाप नहीं लेते, उनके मन में तो जब भगवान का आनंद भर जाता है,
तब वह आनंद संगीत के रूप में बाहर निकलने लगता है ।

जीवन रेल की पटरी नहीं जो हमेशा समानांतर चले,
यह तो गंगा की धारा जैसी होनी चाहिये जो कहीं गिरती है, कहीं रूकावटें आती हैं,
पर फिर भी अपनी पवित्रता नहीं छोड़ती है ।

मुनि श्री तरूणसागर जी

एक खानदानी पहलवान और ड़रपोक व्यक्ति में लड़ाई हुई, ड़रपोक व्यक्ति ने पहलवान को नीचे गिरा लिया ।  नीचे पड़े पड़े ही ड़रपोक व्यक्ति का खानदान पूछा ।
पता लगने पर की वह ड़रपोक खानदान का है, पहलवान पूरी दम लगाकर ऊपर आ गया और ड़रपोक व्यक्ति को हरा दिया ।

हमको अपनी आत्मा के वैभव का जब पता लग जायेगा तो उस पहलवान की तरह हम भी संसारी ड़रपोक व्यक्ति को पछाड़ देंगें ।

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