पाषाण में भांति भांति की प्रतिमाऐं बनने की क्षमता है, जिस तरह की प्रतिमा का विकास कर लोगे वैसी ही मूर्ति बन जायेगी ।
आत्मा में भी सब सम्भावनाऐं हैं ।
विभावों को छोड़, स्वभाव की ओर बढ़ें ।
CBSE course was having wrong information in class 6th book that Bhagavan Mahaveer is the founder of Jainism.
This information has been corrected in the books published from this year as -“Bhagavan Adinath was the founder of jainism”.
धर्म प्राणवायु है, हमारे जीवन के लिये Oxygen है, जो दिखती नहीं है,
पर खाना, पानी, माँ आदि से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है |
चिंतन
स्वतंत्रता का भाव रखते रखते स्थाई स्वतंत्रता “मोक्ष” पायें ।
चिंतन
बहुत अच्छे तथा बहुत बुरे में भी कई समानताऐं होती हैं ।
जैसे बहुत कम प्रकाश में दिखता नहीं है, बहुत ज्यादा प्रकाश में भी नहीं दिखता है ।
बहुत कम Frequency सुनायी नहीं देती है, बहुत ज्यादा भी नहीं ।
बहुत बुरों में से उन बातों को ग्रहण कर सकते हैं ,जो अच्छों में भी हैं ।
जब ऐसा दॄष्टिकोण होगा तब हम – बुराई से दूर रहेंगे और बुरों से घृणा नहीं करेंगे ।
(श्री गौरव)
See a mistake as just a mistake,
not “my” or “his” mistake.
“My” brings guilt,
“HIS” brings anger,
only “MISTAKE” brings realization & likely improvement…….
(Mr. Mehul)
एक आदमी सत्संग से हमेशा दूर भागता था, गुरू को आगे आगे के समय देता रहता था । एक दिन वह मर गया, गुरु शमशान घाट पर उसे सत्संग सुनाने लगे ।
लोग हँसने लगे और बोले – मुर्दा क्या सुनेगा ।
गुरू – मुर्दे के बहाने तुम ज़िंदों को सत्संग सुना रहा हूँ ।
ऐसे ही समय निकल जायेगा, समय रहते सत्संग कर लो ।
‘इस धरा का, इस धरा पर सब धरा रह जायेगा ।’
सड़क पर किसी की पिटाई हो रही है ।
पिटने वाले का पापोदय, पीटने वाले निमित्त ।
पर आप क्यों नहीं बने निमित्त ?
आपका पुण्योदय चल रहा था या आपका पुरूषार्थ इतना प्रबल था कि पीटने के Temptation को रोक पाये ।
बुरे काम में निमित्त ना बनें, अच्छे काम में निमित्त जरूर बनें ।
चिंतन
एक राजा ने दो विद्वानों की खूब तारीफ़ सुनी। उसने दोनौं को अपने महल में बुलाया ।
एक विद्वान जब नहाने गया तो राजा ने दूसरे के बारे में पहले से उसकी राय पूंछी ।
पहला विद्वान – अरे ! ये विद्वान नहीं, बैल है ।
ऐसे ही राजा ने दूसरे से पहले के बारे में राय जानी ।
दूसरा विद्वान – ये तो भैंस है ।
जब दौनों विद्वान खाना खाने बैठे तो थालियों में घास तथा भूसा देखकर चौंक पड़े ।
राजा ने कहा – आप दोनौं ने ही एक दूसरे की पहचान बतायी थी, उसी के अनुसार दोनौं को भोजन परोसा गया है ।
दौनों की गर्दन शर्म से झुक गयी ।
रत्नत्रय 2
पीले पत्ते तो पुरवया की बयार में भी गिर जाते हैं ।
( कमजोर पत्ते तो सुहावनी हवा में भी टूट जाते हैं । निर्बलता तो अभिषाप है )
‘धर’ मतलब है रखना और ‘म’ मतलब है में ।
जब हम स्वयं को स्वयं में रखना शुरु कर देते हैं तो वहां से हम धर्म में प्रवेश कर जाते हैं ।
(कु. अज्ञा खुर्देलिया)
आपको शराब और शर्बत Offer किए जाये तो Selection आपके हाथ में है ।
यदि शराब पी तो नशा आएगा ही, थू थू होगी ही ।
कर्म करने से पहले Choice आपके हाथ में है, करने के बाद फल आपके वश में नहीं है ।
ज़िंदगी के पहले कपड़े (लंगोटी) में ज़ेब नहीं होती;
आखिरी कपड़े (कफ़न) में भी ज़ेब नहीं होती ।
फिर क्यों हम अपनी ज़िंदगी को ज़ेब भरने में बरबाद कर रहे हैं ?
चिंतन
Ten Words………………
AVOID IT
USE IT
OVERCOME IT
VALUE IT
KEEP IT
IGNORE IT
ACHIEVE IT
DISTANCE YOURSELF FROM IT
ACQUIRE IT
MAINTAIN IT.
(Mr. Sanjay)
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