हमारे कमरे के दरवाजे, दूसरों के कमरे में भी खुलते हैं ।
हम अकेले भी हैं, भीड़ में भी हैं, भीड़ में रहकर अकेले रहने की कोशिश करें ।
होनी और अनहोनी तो टलती नहीं ,
उस समय अपना विवेक प्रयोग करें ।
मुनि श्री विद्याभूषण जी
अंधेरे में माचिस तलाशता हुआ हाथ,
अंधेरे में होते हुये भी अंधेरे में नहीं होता ।
एक पंड़ित जी, मुझे लेकर साहू शांति प्रसाद जी से मिलने गये ।
साहू जी अधिकतर समय अपनी व्यस्तता का बखान करते रहे कि मेरा एक पैर जमीन पर तो दूसरा आसमान (हवाई जहाज) में ही रहता है ।
पंड़ित जी ने बाहर निकल कर कहा – लगता है, इनके खराब दिन आने वाले हैं ।
6 माह बाद पंड़ित जी का पत्र आया कि साहू जी को लकवा मार गया है, मल मूत्र विसर्जन भी बिस्तर पर ही हो रहा है । उसी हालात में उनका निधन हो गया ।
श्री लालमणी भाई
दूसरों पर दया करने की हमारी हैसियत ही नहीं है ।
आज जिस छोटे व्यक्ति पर आप दया कर रहे हो, ना जाने वही कल तुम पर दया करने के काबिल हो जाये ।
एक माँ दूसरे धर्मावलंबियों की Activities में जाने लगीं ।
उनके बेटे (मेहुल) ने दो – तीन दिन देखा फ़िर पूछा – अपना धर्म कब छोड़ रही हो ?
माँ ने जाना छोड़ दिया ।
गुरू जब शहर छोड़ कर जा रहे थे तब उस माँ ने पूछा था कि – आपकी Absence में जब कभी मैं भटक जाऊंगी तब कौन मुझे Guide करेगा ?
गुरू – तुम्हारे बच्चे तुम्हें Guide करेंगे ।माली अच्चे अच्छे बीज, भूमि को संस्कारित करके ड़ाल देता है, पेड़ बनकर वही बीज उसे जीवन पर्यंत स्वास्थवर्धक फल देते रहते हैं ।
आज वह माँ ऐसे अवसरों पर बच्चों में गुरू की आवाज मान कर उनका पालन करती है ।
उसी माँ के मुख से
छोटों को भी अपने कर्तव्यों को द्रढ़ता से निभाना चाहिये, चाहे वे बड़ों को अप्रिय क्यों ना लगें ।
First 5 Star vegetarian hotel in India named ‘The Grand Bhagwati’ at Ahmadabad and 3 star ‘Country Inns & Suites’ at East Delhi, are available.
A very good step for Vegetarian.
Success is problem, but failure is formula.
You can’t solve problem without knowing the formula.
(Smt.Udaya)
जिसके जुड़ने / मिलने पर कार्य की सिद्धी होती है, उसे समवाय कहते हैं ।
इसके पांच अंग हैं और कार्य की सिद्धी के लिये पांचों ही आवश्यक हैं ।
1. – भव्यतव्य (क्षमता)
2. – पुरूषार्थ (महनत)
3. – उपादान (स्वभाव)
4. – निमित्त (बाह्य कारण)
5. – काललब्धि (नियति)
क्षु. श्री वर्णी जी
पुरूषार्थ और निमित्त के लिये वर्तमान में पुरूषार्थ किया जाता है,
जबकि बाकी तीन, Past के पुरूषार्थ से मिलते हैं ।
(यह वर्णी जी का चिंतन है, आगम में इसका उल्लेख नहीं मिलता – पं. रतनलाल बैनाड़ा जी)
किसी भी बड़ी से बड़ी मशीन का छोटे से छोटा पुर्ज़ा भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना बड़ा पुर्ज़ा ।
हर पुर्ज़ा अपना role पूरी efficiency से निभाता है तभी मशीन सही चल पाती है ।
इस दुनिया को चलाने में भी छोटे से छोटे आदमी का role, मशीन के छोटे पुर्ज़े की तरह ही महत्वपूर्ण है ।
यदि एक आदमी भी अपना role अपना कर्तव्य, सही नहीं अदा करेगा तो उसका असर आस-पास के सारे माहौल पर पड़ेगा ।
श्री नियाज़ अख्तर
जीवन बांसुरी जैसा है,
जिसमें बहुत से छेद (कमियाँ) हैं,
अंदर से खोखली है (सार नहीं है) ।
यदि सही छेद को, सही समय पर ऊँगली रखकर दबा दिया जाये,
तो इसी खोखलेपन से धर्म का / मोक्ष का मधुर संगीत निकलने लगता है ।
संसारी जीव जब संसार से जाता है “वसीयत” देकर जाता है ।
संत जब संसार से जाता है तो “नसीहत” देकर जाता है ।
( श्री संजय )
गलतियाँ इतनी ना करो कि Pencil से पहले Eraser घिस जाये ।
डॉ अभय
When you get little, you want more.
When you get more, you desire even more.
But when you lose it, you realise “little” was enough.
(Ku. Agya Khurdelia)
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