Care should be in heart, not in words;
Anger should be in words, not in heart.

(Mr. Sanjay)

जाप, पूजा आदि बैठकर या ख़ड़े होकर करने के लिये क्यों कहा है ?
बैठने से 90 Degree का Angle बनता है, लेटने से “0” Degree का ।
यदि हम अपना ध्यान / Efficiency 90% (100% जो आजकल हो नहीं सकती ) रखना चाहते हैं तो बैठकर या ख़ड़े होकर करें ।

चिंतन

धर्म की राह पर प्रगति करना चाहते हो ?

  • यदि नहीं, तो बात खत्म ।
  • यदि हाँ, तो –
  1. Admit करें की आपमें कमजोरियाँ हैं ।
  2. उनकी List बनायें ।
  3. किसी गुरू की तलाश शुरू करें ।
    गुरू –
    A – जो श्रद्धा, ज्ञान, चारित्र में आपसे श्रेष्ठ हों ।
    B – जो आपको समय दे सकें ।
  4. उन्हें Weaknesses की  List बताकर उन्हें दूर करने के उपाय के बारे में  Discuss करें ।
  5. अभ्यास करें । गिरेंगे, गिरने से सीख लें, उठें, फिर चलें ।
  6. गुरू को Regularly Visit करें, उनके Touch में रहें । उन्हें बतायें – क्यों गिरे, क्या सीखा, प्रायश्चित लें ।
  7. धार्मिक और ईमानदार लोगों की संगति रखें ।

मोक्षमार्ग प्रशस्त होगा ।

चिंतन

अति ( Excess ) के बिना इति ( Goal ) से साक्षात्कार करना संभव नहीं,
पीड़ा की अति ही, पीड़ा की इति/End है,
पीड़ा की इति ही, सुख का अर्थ है,
पीड़ा को सहना ही, वास्तविक और सात्विक सुख है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

रिश्ते और रास्ते एक सिक्के के दो पहलू हैं,
कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते बदल जाते हैं,
कभी रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं ।

(श्रीमति उदया)

सफ़ेद कैनवास पर छोटा सा काला धब्बा लगाकर पूछने पर कि क्या दिखा ?
सब यही कहेंगे कि काला धब्बा दिखा ।

इतना बड़ा सफ़ेद कैनवास नहीं दिख रहा और छोटा सा काला धब्बा दिख रहा है क्योंकि,
हमारी प्रकृति ही बुराईयों को देखने की है ।

( Dr. P. N. Jain )

अनंतानुबंधी    ( अति तीव्र कषाय )     :- अपनी सीट और साथ वाली भी घेर लेना।
अप्रत्याख्यान         ( तीव्र कषाय )     :- अपनी सीट पर ही बैठना।
प्रत्याख्यान        ( मध्यम कषाय )     :- अपनी सीट पर किसी दूसरे को भी बैठाना।
संज्वलन            ( मंद कषाय )     :- अपनी सीट किसी दूसरे को दे देना।

श्री लालमणी भाई

जब मेघनाथ गर्भ में थे, तब रावण ने ज्योतिषी से पूछा – यह बच्चा मृत्यु पर विजयी कैसे होगा  ?
ज्योतिषी ने कहा – जब 9 ग्रह बीच के घर में आ जायेगें ।
रावण सब ग्रहों को पकड़ लाया और बीच के घर में बैठा दिया । जब पता लगाने गया कि बच्चा हुआ या नहीं । इतने में शनि थक था और उसने अपना पैर चौथे घर में फैला दिया ।

कितना भी कर्मों को समेटो, कहीं ना कहीं से खिसक ही जाते हैं ।

श्री लालमणी भाई

Archives

Archives
Recent Comments

April 8, 2022

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728