संसार रोग रूप है जैसे रोग को ठीक करने के लिये –
1. रोग का स्वरूप जानना होता है।
2. कारण भी जानना होगा।
3. उससे बचने का साधन मालुम करने से ही रोग से मुक्ति पा सकते हैं।
संसार से मुक्ति पाने का भी यही क्रम/विधि है।

कमलकांत

बहुरूपिया महल के सामने साधुवेश रखकर ध्यान में लीन था।
सब लोग भेंट चढ़ा रहे थे, राजा ने भी हजार मुद्रायें चढ़ायीं। उसने किसी भी भेंट को छुआ भी नहीं।
अगले दिन दरबार में आकर 100 मुद्रायें मांगने लगा।
राजा- कल तुमने हजार मुद्रायें लेने से मना क्यों किया ?
कल मैं साधुवेश में था, यदि किसी की भी भेंट स्वीकारता तो साधुपद का अपमान होता।

ऊब – दो प्रकार की –
1. नकारात्मक – आलसी प्रवृत्ति वालों में
2. सकारात्मक – क्रियाशील/परिवर्तन को महत्त्व देने वाले की

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

बाढ़ के वेग में डूबना unavoidable है, पर शांत जल में लापरवाही से डूबने की जुम्मेदारी ख़ुद की है।
पापोदय में बीमारी आना समझ आता है, असावधानी से संक्रमित होना नहीं।

चिंतन

शिष्यों को – यदि कल्याण करना चाहते हो तो मात्र दो चीजें करना –
1. स्वयं तो गलती करना नहीं।
2. दूसरों की देखना नहीं।
बस इतनी साधना पर्याप्त है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

जब कोई मर्यादा (औकात) से ज्यादा बातें करने लगे/परछायीं कद से ज्यादा बड़ी हो जाये तब जान लो – सूरज ड़ूबने वाला है।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

धन तो सबने मिलकर भोगा, समाप्त कर लिया।
बचा क्या ?
धन कमाने में कमाया पाप, यह हमें अकेले ही भोगना होगा।
इसका कुछ अंशों में मार्जन दान से होगा, साथ-साथ पुण्य की कमाई होगी, आसक्त्ति तथा अहंकार कम होगा।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

नौ मलद्वारों में से, 2 One way हैं, 2 पर Natural Filters लगे हैं(आँखें), बाकी 5 Direct Highway (मुंह, नाक*, कान) हैं, इसलिये इन 5 पर Filter लगाना जरूरी है (बीमारियों तथा पिटने से बचने के लिये भी) ।

मुनि श्री सुधासागर जी

* नाक सिकोड़ने से भी झगड़े हो जाते हैं।

अपने और अपनों के दु:ख क्यों ?
मोह अज्ञान से।
कैसे ?
ख़ुद और सबको शरीर माना, आत्मा को नहीं।
बचने का उपाय ?
वैराग्य व सही ज्ञान।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

अच्छा वह जो बुराई छोड़ने के प्रयास में लगा है।
अच्छा बनने के लिये पहले बुरों/बुराइयों से दूर रहना होगा।
साफ कपड़े वाला गंदे कपड़ों वाले से दूर रहता है।

मुनि श्री सुधासागर जी

Call Centre में सामने वाली Party कैसा भी व्यवहार करे, Call Centre वाले पूरी नम्रता/शांति से व्यवहार करते रहते हैं।
कारण ?
उन्हें मालुम है कि Calls Record हो रही हैं।
क्या हमको नहीं मालुम कि हमारी भी हर क्रिया/कर्म खाते में जमा हो रहा है, जिसका पुरुस्कार/सज़ा हमको कर्म-फल के रूप में मिलेगी ही।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

एक व्यक्ति ने अपने सारे Targets 60 साल के होने तक पूरे करने का संकल्प किया।
60 साल के होने पर उनसे पूछा – कौन कौन से पूरे हुये ?
जवाब था – एक सपना ही पूरा हुआ, वह था 60 वर्ष का होना।
सिर्फ देखने/सोचने से सपने पूरे नहीं होते, पुरुषार्थ करना होता है।

ब्र.नीलेश भाई

एक ग़रीब बुढ़िया मंदिर बनवाना चाहती थीं।
पैसे कितने हैं ?
2 रुपये ।
इसमें मंदिर कैसे बनेगा ?
2 रुपयों के साथ 2 चीज़ें और हैं –
1. मेरा भगवान
2. उस पर मेरा विश्वास
और पिसनहारी का मंदिर बन ही गया, जबलपुर में।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

Archives

Archives

April 8, 2022

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930