अभव्य/दूरान्दूर भव्य

 

अभव्य में केवलज्ञान प्रकट होने की शक्ति नहीं होती, हालाँकि अंदर शक्ति है ।
दूरान्दूर भव्य में केवलज्ञान प्रकट होने की शक्ति है पर उसे निमित्त नहीं मिलता है ।

पं.रतनलाल बैनाडा जी

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