देवों में परिग्रह/अभिमान
देवों में ऊपर – ऊपर परिग्रह और अभिमान आदि कम क्यों हैं ?
ऊपर – ऊपर देवों में कषाय मंद होने से संक्लेश कम, इससे अवधिज्ञान की विशुद्धि अधिक होती है ।
इस अवधिज्ञान से नारकी, मनुष्य, तिर्यंचों के दुःखों को विशेषरूप से देखकर वैराग्य और संसार से भीरूता उत्पन्न होती है, इससे परिग्रह में अभिमान कम होता है ।
तत्वार्थ सुत्र टीका – पं. श्री कैलाशचंद्र जी