आ. श्री. (विद्यासागर जी) आप आहार के समय नियम क्यों नहीं दिलवाते ?
आ. श्री….. “2-4 आहार देने के बाद घर ही छोड़ देता है, फिर क्या नियम दिलवाऊँ !”
नियम लिये जाते हैं, दिये नहीं जाते ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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6 Responses
भोग उपभोग की सामग्री का थोड़े समय के लिए त्याग करना नियम कहलाता है।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि नियम दिलवाने के बाद वह 2-4 आहार देने के बाद इस क़िया से दूर हो जाता है।
अतः यह कथन सत्य है कि नियम दिया नहीं जाता है बल्कि नियम लिया जाता है।
जो लोग धर्म से जुड़ते हैं वही प़सन्नता पूर्वक नियम लेते हैं। नियम भी संकल्प पूर्वक लेना चाहिए ताकि अपने जीवन का कल्याण कर सकता हैं। इस विषय में मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने उल्लेख किया है।
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भोग उपभोग की सामग्री का थोड़े समय के लिए त्याग करना नियम कहलाता है।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि नियम दिलवाने के बाद वह 2-4 आहार देने के बाद इस क़िया से दूर हो जाता है।
अतः यह कथन सत्य है कि नियम दिया नहीं जाता है बल्कि नियम लिया जाता है।
जो लोग धर्म से जुड़ते हैं वही प़सन्नता पूर्वक नियम लेते हैं। नियम भी संकल्प पूर्वक लेना चाहिए ताकि अपने जीवन का कल्याण कर सकता हैं। इस विषय में मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने उल्लेख किया है।
2nd line ka kya meaning hai?
2-4 बार आहार देने के बाद इतना attachment हो जाता है/ विशुद्धता आ जाती है कि व्यक्ति अपने आप नियम लेने लगता है ।
Uncle, attachment or detachment?
गुरु से attachment, संसार से detachment.
Okay.