परिचय
हम शरीर के निकट तो हैं पर उससे हमारा परिचय नहीं है ।
हमारा व्यक्तित्व पेट और पेटी बनकर रह गया है, उसी को हमने अपना परिचय मान लिया है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
हम शरीर के निकट तो हैं पर उससे हमारा परिचय नहीं है ।
हमारा व्यक्तित्व पेट और पेटी बनकर रह गया है, उसी को हमने अपना परिचय मान लिया है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी