बंध
कार्मण वर्गणाओं का आत्मा के साथ एक मेव होना ।
लड़की देखने गये – आस्रव
अंगूठी पहनाई – बंध
इस तरह अलग-अलग दो क्रियायें होते हुये भी, इनमें समय का अंतर नहीं होता ।
पं. रतनलाल बैनाडा जी
कार्मण वर्गणाओं का आत्मा के साथ एक मेव होना ।
लड़की देखने गये – आस्रव
अंगूठी पहनाई – बंध
इस तरह अलग-अलग दो क्रियायें होते हुये भी, इनमें समय का अंतर नहीं होता ।
पं. रतनलाल बैनाडा जी