शरीर/बालादि नामकर्म से, केवली भगवान का शरीर तो कपूर जैसा उड़ जाता है, बाल/नाखून क्यों नहीं ?
जगह आदि की पहचान के लिये ।
भोगभूमज के बाल/ नाखून शरीर के साथ ही उड़ जाते हैं ।
आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी
(वैसे भी जो बाल/ नाखून रह जाते हैं वह मल होता है- पं.रतनलाल बैनाडा जी)
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नामकर्म- -जिस कर्म के उदय से जीव देव,नारकी,तिर्यंच या मनुष्य कहलाता है वह नाम कर्म है अथवा जो शरीर संबंधित तैरानवे भेद प़मेद है। अतः उक्त कथन सत्य है कि शरीर और बालादि नाम कर्म से मिलता है, जबकि केवली भगवान् का शरीर तो कपूर जैसा उड़ जाता है लेकिन बाल नाखून इसलिए नहीं उडता है क्योंकि बाल ओर नाखून तो मल होता है।
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नामकर्म- -जिस कर्म के उदय से जीव देव,नारकी,तिर्यंच या मनुष्य कहलाता है वह नाम कर्म है अथवा जो शरीर संबंधित तैरानवे भेद प़मेद है। अतः उक्त कथन सत्य है कि शरीर और बालादि नाम कर्म से मिलता है, जबकि केवली भगवान् का शरीर तो कपूर जैसा उड़ जाता है लेकिन बाल नाखून इसलिए नहीं उडता है क्योंकि बाल ओर नाखून तो मल होता है।