पाप / अपराध
पाप – आंतरिक, अधर्म तथा भावनाओं से,
अपराध – प्रकट, क्षेत्र और काल से परिभाषा बदलती रहती है,
इसका फल बाद में निर्धारित किया जाता है, जबकि पाप का भावना के साथ ही ।
पाप – आंतरिक, अधर्म तथा भावनाओं से,
अपराध – प्रकट, क्षेत्र और काल से परिभाषा बदलती रहती है,
इसका फल बाद में निर्धारित किया जाता है, जबकि पाप का भावना के साथ ही ।
One Response
पाप का फल अधमॅ तथा भावनाओं से जुड़े होने के कारण तत्काल कमॅ से जुड जाता है। अपराध का फल कानून के अनुसार मिलता है लेकिन जो अधर्म से जुडा होता है उसका भी फल देर से कमॅ में जुड जावेगा। अतः उचित होगा कि पाप से एवं अपराध से बचना चाहिए तभी धमॅ का पालन होगा।