धन/धर्म
धार्मिक क्रियाओं के लिये धन चाहिये, धन के लिये धार्मिक क्रियायें ।
पर स्व-धर्म के लिये धन की जरूरत नहीं है ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
धार्मिक क्रियाओं के लिये धन चाहिये, धन के लिये धार्मिक क्रियायें ।
पर स्व-धर्म के लिये धन की जरूरत नहीं है ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
M | T | W | T | F | S | S |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 |
8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 |
15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 |
22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
29 | 30 | 31 |
3 Responses
Can the meaning of “swa-dharm” be explained please?
Higher stage पर बाह् से जब अंतरंग में लीन रहने लगता है तब धन की क्या आवश्यकता ?
ok Uncle. understood now.