धन / धर्म
व्यक्ति की चाल……
धन से भी बदलती है,
और
धर्म से भी !
जब धन संपन्न होता है,
तब अकड़ कर चलता है;
और
जब धर्म संपन्न होता है
तब
विनम्र होकर !!
(डा.अमित)
व्यक्ति की चाल……
धन से भी बदलती है,
और
धर्म से भी !
जब धन संपन्न होता है,
तब अकड़ कर चलता है;
और
जब धर्म संपन्न होता है
तब
विनम्र होकर !!
(डा.अमित)
One Response
Suresh chandra jain
Yah kathan sahi hai, lekin jab dhan kamayein to dharm se judkar kamayein jisse wahan bhi vinamra ho jayenge.
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