मंदिर / चैत्यालय
मंदिर यानि घर, चाहे भगवान का हो या अन्य किसी का,
चैत्यालय यानि चैत्य (मूर्ति) जिसमें विराजमान हों ।
मुनि श्री सुधासागर जी
मंदिर यानि घर, चाहे भगवान का हो या अन्य किसी का,
चैत्यालय यानि चैत्य (मूर्ति) जिसमें विराजमान हों ।
मुनि श्री सुधासागर जी
3 Responses
यह कथन सत्य है कि मंन्दिर चाहे घर का हो या भगवान् का हो ।चैत्यालय में अकेले मूर्ति की स्थापना होती है, जो मंन्दिर नहीं कहा जा सकता है।
Magar “चैत्यालय” bhi to kisi ka “घर” ho sakata hai? Besides, hum apne “घर” ko “मंदिर” kyun nahin kahte?
चैत्यालय = चैत्य(भगवान की मूर्ति) का आलय(घर) ।
मंदिर तो घरों के नाम ही नहीं, टाकीजों के नाम में भी प्रयोग किया जाता है जैसे मराठा-मंदिर ।