व्रती / मिथ्यादृष्टि

व्रती चाहे मिथ्यादृष्टि हो पर हिंसा नहीं करेगा,
अव्रती चाहे क्षायिक-सम्यग्दृष्टि हो, सगे भाई को मारने में भी ना झिझके – जैसे भरत चक्रवर्ती ।

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4 Responses

  1. व़त में हिंसा, झूठ, चोरी आदि पापों से बचने के लिए प़तिमा धारण करने के उपरान्त श्रद्धा पूर्वक पालन करना होता है तभी वह व़ती कहलाता है। जबकि मिथ्याद्ष्टि कर्म के उदय से वशीकृत जीव मिथ्याद्ष्टि कहलाता है। अतः जो वृती होते हैं वह कभी हिंसा नहीं करता हैं।भरतचक़वर्ती ने वृत धारण नहीं करने के कारण अपने सगे भाई पर हथियार उठाने का प़यास किया गया था ।

    1. यहाँ व्रती का मतलब 5,6 आदि गुणस्थानवर्ती को नहीं लिया है,
      बल्कि बिना सच्ची श्रद्धा/ज्ञान के व्रतों को पालने वाले को लिया है ।

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